देहरादून: उत्तराखंड के जाने माने समाजसेवीऔर पद्मश्री से सम्मानित अवधेश कौशल का मंगलवार सुबह देहरादून में एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे। वो कुछ दिनों से बीमार थे और उनका इलाज चल रहा था।
उनके पारिवारिक लोगों से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार को उनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। उसके बाद से उनकी स्थिती लगातार बिगड़ती गई। इसके बाद आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। अवधेश कौशल ने गैर सरकारी संगठन ‘रूरल लिटिगेशन एंड एनलाइटनमेंट केंद्र'(रूलक) की स्थापना की। अवधेश कौशल ने मानवाधिकारों और पर्यावरण के लिए जीवन भर काम किया।
अवधेश कौशल को अस्सी के दशक में मसूरी में खनन पर रोक लगवाने का श्रेय जाता है। इससे वहां पर्यावरण को हो रही क्षति पर लगाम लगी। उन्हें घुमंतू जनजाति गुज्जरों का मसीहा भी माना जाता है जिन्होंने उनके अधिकारों के लिए एक लंबी प्रशासनिक और कानूनी लड़ाई लड़ी। गुज्जरों के लिए संघर्ष करते हुए उन्हें 2015 में जेल भी जाना पड़ा।
अवधेश कौशल ने राज्य में पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलने वाली सुविधाएं रुकवाने का श्रेय भी जाता है। उन्ही की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को रहने के लिए मिलने वाली कोठियों और अन्य सुविधाओं को बंद करने का आदेश दिया था।
वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पद्मश्री अवधेश कौशल जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वर्गीय अवधेश जी, जीवटता व संघर्ष के प्रतीक थे। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने और शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
सामाजिक हितों को लेकर सदैव संघर्षशील रहे प्रसिद्ध समाजसेवी पद्मश्री से अलंकृत श्री अवधेश कौशल जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) July 12, 2022
ईश्वर पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान एवं शोक संतप्त परिजनों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
ॐ शांति: शांति: शांति: