देहरादून: दीपावली का देश में विशेष महत्व है। परंपराओं और मान्यताओं के सम्मान में दीपावली पर खूब जश्न भी मनाया जाता है, लेकिन इस जश्न के बीच हम अपनी प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी को जरूर भूल जाते हैं। आतिशबाजी की होड़ में लोग ध्वनि और वायु प्रदूषण का विस्फोट करते हैं, जिसके दूरगामी परिणाम मानव शरीर को ही भुगतने पड़ रहे हैं। इस बार दीपावली मनाएं तो खुशियां बांटें और सौहार्द बढ़ाए, न कि प्रदूषण बढ़ाकर खुद के स्वास्थ्य से खेलें।
वहीं, ग्रीन-क्लीन और इको फ्रेंडली दीपावली आज समय की मांग है। महिलाएं इस तरह से दीपावली मनाने को काफी गंभीर हैं। इस अनूठे तरीके से वह आत्मनिर्भर तो हो ही रही हैं, साथ ही वह पर्यावरण बचाने में जी-जान से जुटी हुई हैं। दीपोत्सव सुख-समृद्धि का पर्व है। जब देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा तो यकीनन इसका सकारात्मक प्रभाव सीधे अर्थव्यवस्था पर दिखेगा। ग्रीन-क्लीन और आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को अपने नवाचार विचारों से साकार कर रही हैं हिमवंत फाउंडेशन सोसाइटी।
जी हां, देहरादून में ग्रीन दीपावली का संदेश देते हुए हिमवंत फाउंडेशन सोसाइटी की ओर से इस साल गोबर से खूबसूरत लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां और दीये इत्यादि तैयार किए जा रहे हैं। जिनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पर्यावरण के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हैं।
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हिमवंत फाउंडेशन सोसाइटी की अध्यक्ष संगीता थपलियाल ने बताया कि इस साल कुछ खास तरह के उत्पादों के साथ उनकी संस्था ग्रीन दीपावली मनाने का संदेश दे रही है। गोबर से बने इन उत्पादों की यूएसपी यह है कि दीपावली पूजन के बाद इन्हें आसानी से डिस्पोज किया जा सकता है। वहीं, पूजा के बाद इन गोबर से बनी मूर्तियों को इधर-उधर फेंकने की जगह घर के गमलों में डाल सकते हैं और इससे खाद बन जाती है।
खास बात यह है कि ये गोबर और जड़ी बूटियों से बनाए गए दीये और लक्ष्मी-गणेश देहरादून के लोग आईएसबीटी रोड पर शांति विहार स्थित उनके कार्यालय से भी सीधे इनकी खरीदारी कर सकते हैं।