आम आदमी की जेब में झटका…उत्तराखंड में फिर बढ़ी बिजली की कीमतें

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देहरादून: एक बार फिर आम आदमी की जेब में झटका पड़ने वाला है। उत्तराखंड में बिजली की कीमतें फिर से बढ़ गई है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने ऊर्जा निगम के साढ़े 12 प्रतिशत सरचार्ज वृद्धि के प्रस्ताव को संशोधित कर करीब साढ़े तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी की मंजूरी दी है। जिससे पांच पैसे से 86 पैसे प्रति किलोवाट तक की वृद्धि हो गई है।

उत्तराखंड में गर्मियों में बिजली संकट के दौरान राष्ट्रीय एक्सचेंज से महंगी खरीद का हवाला देते हुए ऊर्जा निगम ने इस वित्तीय वर्ष में विद्युत सरचार्ज बढ़ाने की मांग की थी। हालांकि, आयोग ने निगम को वांछित राहत नहीं दी है। आयोग ने साढ़े तीन प्रतिशत वृद्धि का किया अनुमोदन जिसके चलते ऊर्जा निगम को प्रत्येक माह करीब 120 करोड़ रुपये की बिजली खरीद करनी पड़ी। इस वित्तीय वर्ष में ऊर्जा निगम ने करीब 1000 करोड़ की अतिरिक्त बिजली खरीद का आकलन किया है। इसकी भरपाई के लिए निगम की ओर से सरचार्ज में साढ़े 12 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव नियामक आयोग को भेजा गया था। जिस पर आयोग ने साढ़े तीन प्रतिशत वृद्धि का अनुमोदन किया है।

घरेलू उपभोक्ता

100 यूनिट तक, पांच पैसे प्रति किलोवाट आवर

101-200 यूनिट, 20 पैसे प्रति किलोवाट आवर

201-400 यूनिट, 30 पैसे प्रति किलोवाट आवर

400 यूनिट से अधिक, 45 पैसे प्रति किलोवाट आवर

अघरेलू उपभोक्ता

25 किलोवाट तक, 62 पैसे प्रति किलोवाट आवर

सरकारी संस्थान, 79 पैसे प्रति किलोवाट आवर

एलटी इंडस्ट्री, 62 पैसे प्रति किलोवाट आवर

एचटी इंडस्ट्री, 62 पैसे प्रति किलोवाट आवर

मिश्रित लोड, 73 पैसे प्रति किलोवाट आवर

करीब साढ़े तीन सौ करोड़ का मिलेगा अतिरिक्त राजस्व

अनिल कुमार (प्रबंध निदेशक, ऊर्जा निगम) ने कहा कि महज एक साल के लिए साढ़े 12 प्रतिशत सरचार्ज बढ़ाए जाने की की मांग की गई थी। एक साल तक सरचार्ज बढ़ाकर निगम को 1355 करोड़ रुपये की आय होने का अनुमान था, लेकिन आयोग की ओर से साढ़े तीन प्रतिशत वृद्धि का अनुमोदन दिया गया है। जिससे निगम को करीब साढ़े तीन सौ करोड़ का ही अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। जबकि, सर्दियों में भी महंगी बिजली खरीद की आवश्यकता पड़ सकती है।

एमके जैन (सदस्य, नियामक आयोग) ने बताया कि उपभोक्ताओं के हित और ऊर्जा निगम की दलीलों को देखते हुए सरचार्ज में प्रस्तावित 12.5 प्रतिशत की बजाय 3.5 प्रतिशत वृद्धि की अनुमति दी गई है। निम्न आय वर्ग पर इसका बेहद कम भार डाला गया है।

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