उत्तराखंड के इस मंदिर में खड़रात्रि पूजा से होती है संतान प्राप्ति…

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श्रीनगर गढ़वाल: सच ही कहा गया है जब दवाइयां काम न आएं तब भक्ति साधना में आस की किरण नजर आती है। जी हां आज हम आपको बता रहे हैं उत्तराखंड के श्रीनगर स्थित प्राचीन कमलेश्वर महादेव मंदिर के बारे में। जहां नि:संतान दंपति शिव की आराधना करने आते हैं। यहां कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन हजारों लोगों का हुजूम उमड़ता है जिसके पीछे एक अनोखी मान्यता है।

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ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से मांगने पर निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि जो भी दंपति सच्चे मन से कमलेश्वर मंदिर में भगवान शिव की आराधना करते हैं उनको अवश्य ही संतान की प्राप्ति होती है। कार्तिक शुक्ल की चतुर्दशी के शुभ दिन के अवसर पर जो भी निसंतान दंपति सच्चे मन से इस मंदिर में आकर भोलेनाथ को याद करता है उनको संतान प्राप्ति अवश्य होती है। भले ही इस बात पर विज्ञान भरोसा ना करे मगर कमलेश्वर मंदिर में यह कई सालों से मान्यता चलती आ रही है और इस दिन कई निसंतान दंपति संतान प्राप्ति के लिए इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं।

चलिए आपको कमलेश्वर मंदिर के उस अनुष्ठान के बारे में बताते हैं जिसका पालन कर निसंतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है।

कमलेश्वर मंदिर में ” खड़ा दीया ” की एक अनोखी परंपरा सदियों से चली आ रही है। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र की प्राप्ति के लिए कमलेश्वर मंदिर में भगवान शिव की आराधना की थी और व्रत के अनुसार भगवान विष्णु को सौ कमल शिव की आराधना के दौरान शिवलिंग में चढ़ाने थे मगर भगवान शिव ने उनकी भक्ति के परीक्षा के लिए 99 कमल के बाद एक कमल को छुपा दिया जिसके बाद अपनी भक्ति को साबित करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने ही एक नेत्र को कमल के जगह अर्पण कर दिया। जिसके बाद विष्णु की भक्ति से खुश होकर भगवान शिव ने उनको सुदर्शन चक्र दिया और उसके बाद से ही भगवान विष्णु के नेत्रों को कमलनयन भी कहा जाता है।



माना जाता है कि विष्णु भगवान की पूजा को एक निसंतान दंपति अपनी आंखों से स्वयं देख रहा था जिसके बाद उन्होंने भी इसी विधि-विधान से भगवान की पूजा अर्चना की और उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई। उस समय एक निसंतान दंपति भी अपनी आंखों से स्वयं देख रहा था जिसके बाद उन्होंने भी इसी विधि-विधान से भगवान की पूजा अर्चना की और उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई थी। तबसे “खड़े दीए” की यह परंपरा चली आ रही है और संतान प्राप्ति के लिए आज के दिन दंपति यह अनुष्ठान करते हैं। आज श्रीनगर में कार्तिक शुक्ल की चतुर्दशी के दिन कई लोग मंदिर में दर्शन के लिए आ रहे हैं और मंदिर परिसर में व्यवस्थाओं को बनाने के लिए पुलिस बल ने विशेष इंतजाम किए हैं। भीड़ को देखते हुए अन्य जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल श्रीनगर में तैनात किया गया है।


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