इस वैज्ञानिक की चेतावनी- हिमालय में कभी भी आ सकता है बड़ा भूकंप…

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देहरादून: बीते मंगलवार को उत्तरी अफगानिस्तान में आए भूकंप के बाद दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र सहित उत्तरी भारत में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। इस भूकंप की तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 6.6 मापी गई। भूकंप के तेज झटकों के बीच भारत के उत्तरी राज्यों के लोगों के मन में डर है। लोगों के मन में डर है कि क्या कोई अनहोनी होने वाली है? क्योंकि पिछले कुछ समय से बड़ा भूकंप आने की बात कही जा रही है। इस बीच एक और चिंताजनक खबर मिली है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अजय पॉल ने बताया कि हिमालय में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है।

डॉ. पॉल ने बताया कि अफगानिस्तान में आए भूकंप की गहराई बहुत ज्यादा थी। इसलिए उसका असल बहुत बड़े इलाके में देखा गया। हम सिस्मिक जोन 5 में हैं किसी भी एक क्षेत्र की पहचान नहीं कर सकते। अवेयरनेस और सिविल इंजीनियरिंग से जान बचाई जा सकती है। भूकंप से पहले किसी तरह की भविष्यवाणी करना मुश्किल है। जब टेक्टोनिक प्लेट्स से एनर्जी रिलीज होती है। तभी भूकंप आता है।

IIT Roorkee के अर्थ साइंसेज विभाग के साइंटिस्ट प्रो. कमल ने के मुताबिक पाकिस्तान से लेकर भारत के उत्तर-पूर्व के राज्यों तक हिमालय की पूरी बेल्ट में भूकंप का आना बेहद सामान्य घटना है। इतनी ज्यादा मात्रा में भूकंप का आना मतलब ये है कि टेक्टोनिक प्लेट्स के अंदर मौजूद प्रेशर रिलीज हो रहा है। हाल ही में एक नया नक्शा जारी हुआ है, जिसमें भारत के ऊपर हिमालय के इलाके में हजारों फॉल्ट लाइन्स हैं। इन फॉल्ट लाइन्स में होने वाली हल्की हलचल भी भारतीय प्रायद्वीप को हिला देती है। आप इसे ऐसे समझें अगर मैं लगातार आपको धक्का देता रहूं। पर आपके पीछे एक दीवार है। जो आपको पीछे जाने नहीं दे रहा है। मेरे धक्के से लगातार आपके शरीर में ऊर्जा स्टोर हो रही है। जिसे आप एक दबाव की तरह महसूस कर रहे हैं। आपको दर्द हो रहा है। बेचैनी और उलझन भी होगी। ये सभी रिएक्शन एक एनर्जी स्टोर होने की वजह से होती है। आखिरकार आप इस एनर्जी से छुटकारा पाने के लिए रिएक्ट करेंगे। मुझे वापस धक्का देंगे या किसी तरह से मेरे सामने से हटेंगे। बस यही हालत बनी हुई है इंडियन, यूरेशियन और तिब्बत टेक्टोनिक प्लेट के बीच।

असल में इंडियन टेक्टोनिक प्लेट हर साल 15 से 20 मिलिमीटर तिब्बतन प्लेट की तरफ बढ़ रहा है। इतना बड़ा जमीन का टुकड़ा किसी अन्य बड़े टुकड़े को धकेलेगा, तो कहीं न कहीं तो ऊर्जा स्टोर होगी। तिब्बत की प्लेट खिसक नहीं पा रही हैं। इसलिए दोनों प्लेटों के नीचे मौजूद ऊर्जा निकलती है। ये ऊर्जा छोटे-छोटे भूकंपों के रूप में निकलती है, तो उससे घबराने की जरुरत नहीं है। जब तेजी से ऊर्जा निकलती है तो बड़ा भूकंप आता है।

भारत में भूकंप के पांच जोन हैं। पांचवें जोन में देश के कुल भूखंड का 11 फीसदी हिस्सा आता है। चौथे जोन में 18 फीसदी और तीसरे और दूसरे जोन में 30 फीसदी। सबसे ज्यादा खतरा जोन 4 और 5 वाले इलाकों को है। एक ही राज्य के अलग-अलग इलाके कई जोन में आ सकते हैं। सबसे खतरनाक जोन है पांचवां। इस जोन में जम्मू और कश्मीर का हिस्सा (कश्मीर घाटी), हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी हिस्सा, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तरी बिहार का हिस्सा, भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं।

चौथे जोन में जम्मू और कश्मीर के शेष हिस्से, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बाकी हिस्से, हरियाणा के कुछ हिस्से, पंजाब के कुछ हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से, बिहार और पश्चिम बंगाल का छोटा हिस्सा, गुजरात, पश्चिमी तट के पास महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और पश्चिमी राजस्थान का छोटा हिस्सा इस जोन में आता है।

तीसरे जोन में आता है केरल, गोवा, लक्षद्वीप समूह, उत्तर प्रदेश और हरियाणा का कुछ हिस्सा, गुजरात और पंजाब के बचे हुए हिस्से, पश्चिम बंगाल का कुछ इलाका, पश्चिमी राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार का कुछ इलाका, झारखंड का उत्तरी हिस्सा और छत्तीसगढ़। महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक का कुछ इलाका। जोन-2 में आते है राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु का बचा हुआ हिस्सा। पहले जोन में कोई खतरा नहीं होता। इसलिए हम उसका जिक्र नहीं कर रहे हैं।

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