काशीपुर: उत्तराखंड में महिलाओं के साथ बढ़ती दुष्कर्म की घटनाओं पर पूर्व विधायक हर भजन सिंह चीमा ने ऐसा बयान दिया की घमासान मच गया. उधम सिंह नगर की काशीपुर सीट से पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा ने बढ़ते हुए दुष्कर्म के मामलों को लेकर चिंता व्यक्त की, चीमा ने महिलाओं और छात्राओं के प्रति पुरुषों की बढ़ रही घृणित सोच को भारतीय संस्कृति के विपरीत बताया. साथ ही ऐसी घटनाओं के लिए महिलाओं को भी जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा है कि इस तरह की घटनाओं के प्रति कहीं न कहीं महिलायें भी जिम्मेदार हैं जो कि उनके द्वारा अपनाई जा रही पश्चिमी सभ्यता की पोशाक है. चीमा बोले हमारे देश की संस्कृति एवं सभ्यता के अनुरूप ही महिलाओं को अपने अंग वस्त्र धारण करने चाहिए.
भाजपा के पूर्व विधायक चीमा ने जिम्मेदार अभिभावकों से भी अपेक्षा की है कि वह अपने परिवार की महिलाओं एवं बालिकाओं को भारतीय संस्कृति के अनुरूप ही वस्त्र धारण करने को प्रेरित करें, चीमा ने सभी विद्यालयों के प्रबन्धकों से भी अपील की है कि वह छात्राओं की पोषाक में भारतीय संस्कृति के अनुरूप परिवर्तन लायें। समाज के सभी वर्गों को इस दिशा में आगे आकर परिवर्तन लाने का प्रयास करना चाहिए जिससे इस घृणित कृत्य में कमी लाई जा सके.
पूर्व विधायक के इस बयान को लेकर काशीपुर में राजनीति भी तेज हो गई है. पूर्व विधायक चीमा के बयान को लेकर कांग्रेस नेत्री मुक्ता सिंह ने इसे अपमानजक बयान बताते हुए कहा कि अगर दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ रही हैं तो उसमें एक महिला का पहनावा कहां से दोषी हो गया, किसी के पहनावे से आप उसके चरित्र का आंकलन कैसे कर सकते हैं. यह भारत के संविधान में पहनने, रहने व खाने की स्वतंत्रता दी गई है ऐसे में क्या महिलाओं के मौलिक अधिकार से भी अब यह चुनौती देंगे. उन्होंने कहा कि इस बयान की घोर निंदा की जानी चाहिए.
पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा ने विपक्षियों के टारगेट पर आने के बाद अपने बयान को लेकर कहा कि मैंने समाज के बेहतरी के लिए यह विचार दिए हैं, यह कतई राजनीतिक बयान नहीं है यह मेरे निजी विचार हैं। इससे समाज में एक बेहतर संदेश देनेे के लिए मैंने अपने विचार दिए हैं.
कौन हैं पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा…
उत्तराखंड की काशीपुर सीट से चीमा भाजपा नेता हैं. विधायक बनने से पहले वह एक किसान थे. वह एक प्रतिष्ठित नेता हैं. राज्य बनने के बाद पहली बार चुनाव हुआ तो हरभजन सिंह चीमा ने 2002 में उत्तराखंड विधानसभा का चुनाव लड़ा वह इस चुनाव में महज 195 मतों के अंतर से जीते थे. 2007, 2012, 2017 तक वह लगातार चार बार विधायक बने. जिहाजा उम्र के फेर में 2022 के विधानसभा ने उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया था. उन्होंने भाजपा से अपने बेटे त्रिलोक सिंह चीमा के लिए टिकट की मांग की और वह भी 2022 में विधायक बन गए, राज्य बनने के बाद काशीपुर विधानसभा में चीमा परिवार का दबदबा जारी है.