पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस तिथि को भक्तजन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं और जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं। हमारे वेदों और पुराणों में इस व्रत की महिमा के बारे में कुछ खास बातें बताई गई हैं।
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ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है कि भारतवर्ष में रहने वाला जो प्राणी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करता है, वह सौ जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है। वहीं गर्भवती महिलाओं द्वारा व्रत रखे जाने को लेकर भविष्यपुराण में बताया गया है कि जो गर्भवती देवी जन्माष्टमी का व्रत करती हैं, उनका गर्भ ठीक से पेट में रह सकता है और ठीक समय जन्म लेता है।
आइए जानते हैं जन्माष्टमी के व्रत के विषय में अन्य खास बातें…
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत में जप
जन्माष्टमी के व्रत में जप करने के संबंध ऐसा बताया जाता है कि इस दिन किया गया जप अनंत गुना फल देता है। उसमें भी जन्माष्टमी की पूरी रात, जागरण करके जप-ध्यान का विशेष महत्व है। अगर आप भी जन्माष्टमी धूमधाम से मनाते हैं तो पूरी रात जागरण करके भगवान कृष्ण के भजन करने चाहिए। ऐसा करने से आपको जन्माष्टमी के व्रत का अनंत फल प्राप्त होता है।
अकाल मृत्यु से रक्षा
जन्माष्टमी के व्रत की महिमा के बारे में भविष्य पुराण में लिखा है कि जन्माष्टमी का व्रत अकाल मृत्यु नहीं होने देता है। जो जन्माष्टमी का व्रत करते हैं, उनके घर में गर्भपात नहीं होता और गर्भ में पल रहे शिशु को भगवान सुखी और स्वस्थ रहने का आशीर्वाद देते हैं। जन्माष्टमी का विधि विधान से व्रत करके अर्धरात्रि के बाद पूजापाठ के साथ भगवान का जन्म करवाना चाहिए।
एक हजार एकादशी का पुण्य
एकादशी का व्रत हजारों-लाखों पाप नष्ट करने वाला अदभुत ईश्वरीय वरदान है लेकिन एक जन्माष्टमी का व्रत हजार एकादशी व्रत रखने के पुण्य की बराबरी का है। अगर आप एकादशी के व्रत नहीं कर पाते हैं तो जन्माष्टमी का व्रत करके पुण्य कमा सकते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत में संयम
एकादशी के दिन जो संयम होता है उससे ज्यादा संयम जन्माष्टमी के व्रत में रखना चाहिए। बाजार की वस्तु तो वैसे भी साधक के लिए विष है लेकिन जन्माष्टमी के दिन तो चटोरापन, चाय, नाश्ता या इधर-उधर का कचरा अपने मुख में न डालें। अन्न, जल, तो रोज खाते-पीते रहते हैं, इस दिन परमात्मा की भक्ति के रस का पान करना चाहिए।
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