16 जून 2013 के प्रलय का वो खतरनाक मंजर, जिसे याद कर आज भी रोता है दिल …

0
322

रुद्रप्रयाग: 16 जून की वो काली रात इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो चुकी है, जब भी अगर कोई 16 जून कह दे तो दिमाग में सबसे पहले यही घटना याद आती है जब पूरे उत्तराखंड में हाहाकार मच गया था और इस हाहाकार का कारण था बाढ़ जिसने उत्तराखंड के अधिकतर हिस्से को पूरी तरह से तहस नहस कर दिया था। 16 जून को अधिकतर लोग केदारनाथ आपदा के नाम से जानता हैं आज इस घटना को पूरे 7 साल हो चुके हैं, 7 साल पहले साल 2013 की ही वो घटना थी जब पानी के सैलाब ने पूरी केदारपुरी को बंजर बना दिया था।

आज भी अगर आप उस घटना की तस्वीरें या विडियो देख लें तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं, उस रात को अचानक पूरी केदारपुरी में ऐसा हुआ था कि उसके जख्म अब तक हरे हैं जहाँ पल भर में ही हजारों लोग बाढ़ के जलजले में जिन्दा दफ़न हो गये थे, उस बाढ़ ने ऐसा कहर मचाया था कि आज तक भी लोग यहाँ गुम हुए अपनों को खोजने के लिए आते रहते हैं, 16 जून 2013 की ही वो मनहूस रात थी जब आपदा में करीब 4000 से ज्यादा लोग मारे गए या लापता हो गए थे जिसमें से लगभग अकेले उत्तराखंड से ही 1000 से अधिक लोग थे इनमे अधिकतर होटल व्यापारी, तीर्थ-पुरोहित, अन्य रोजगार वाले लोग शामिल थे| पूरे उत्तराखंड में उस काली रात को 13 नेशनल हाईवे, 35 स्टेट हाईवे, 2385 जिला व ग्रामीण सड़कें व पैदल मार्ग और 172 बड़े और छोटे पुल भारी बारिश, बाढ़ के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो गये थे।

पूरी तरह नष्ट हो चुकी केदारपुरी में बस भगवान केदारनाथ का ही मंदिर था जो सुरक्षित बचा हुआ था उसके अलावा वहां बस आपदा के निशान ही बचे हुए थे, 16 जून की उस आपदा के कारण ही अगले 2-3 सालों तक बहुत कम तीर्थयात्री उत्तराखंड आये थे, और फिर उत्तराखंड सरकार ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर केदारनाथ में युद्ध स्तर पर नयी केदारपुरी का निर्माण करवाया और जिसका काम यहाँ अब तक चल रहा है और अब पिछले 1-2 सालों से धीरे-धीरे केदारनाथ फिर से यात्रियों से गुलजार होने लगा है और आपदा के जख्म कुछ कम हो रहे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here