उत्तराखंड में किया था भगवान राम ने रावण वध का पश्चताप

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त्रेतायुग में भगवान राम ने भगवान शंकर के परमभक्त ब्राह्मण रावण का वध किया। लंकापति रावण को मारने के बाद भगवान राम ने ब्रह्महत्या का प्रयाश्चित करने के लिए कई सालों तक तपस्या की थी। पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है कि भगवान श्री राम को रावण के मारे जाने का दुख भी था। क्योंकि रावण भी श्रीराम की तरह भगवान शिव का महाभक्त था। ऐसे में श्रीराम ने पाप के भागी न बनने से बचने के लिए उत्तराखंड में कठोर साधना की थी।

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज‌िले में चोपता से तीन किलोमीटर दूर स्थित चंद्रशिला के बारे में विख्यात है कि भगवान राम ने यहां तपस्य़ा की थी।  यह शिला सबसे ऊंचे शिवालय तुंगनाथ धाम के पास है। कहते हैं भगवान राम ने तुंगनाथ से डेढ़ किलोमीटर दूर चंद्रशिला पर आकर भगवान शिव का ध्यान किया था और उनसे रावण वध के पाप से मुक्त करने का निवेदन किया था।

उत्तराखंड आने वाले कई हिम्मती श्रद्धालु जब केदार यात्रा पर आते हैं तो भगवान राम की तपस्थली के दर्शन जरूर करते हैं। हालाकि कठिन चढाई के कारण कई श्रद्धालुओं को यात्रा में तकलीफ भी होती है लेकिन चंद्रशिला पहुंचने के बाद हिमालय दर्शन के बाद उन्हें असीम शांति प्राप्त होती है और वे रास्ते की सारी दिक्कत को पल में बिसर जाते हैं।

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