प्रेरणासोत्र: उत्तराखंड की मंजू ने पेश की मिसाल, पिता के जाने के बाद ड्राइवर बन कर संभाला परिवार

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टिहरी: सच ही कहा गया है हिम्मत रखने वालों को किसी भी तरह की मुश्किल हिला नहीं सकती। हौसला हो तो इंसान किसी भी स्थिति से बाहर आ सकता है। टिहरी जिले के जाख गांव निवासी मंजू भंडारी की कहानी किसी मिसाल से कम नहीं है। मंजू ने पिता को छोटी ही उम्र में खो दिया था। मगर जज्बा ऐसा कि मंजू लेडी ड्राइवर बनकर कई सालों से परिवार का भरण पोषण कर रही हैं।

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दरअसल परिवार के मुखिया यानी गंगा सिंह भंडारी की करीब 24 साल पहले ही मृत्यु हो गई थी। महज 18 साल की छोटी सी उम्र में पिता को खो देने के दुख के साथ मंजू पर बड़ी बेटी होने के नाते कई जिम्मेदारियां थीं। तीन बहनों और एक भाई के साथ अपनी मां लक्ष्मी देवी की सारी जिम्मेदारी उठाने से मंजू भी पीछे नहीं हटी। पूरी हिम्मत के साथ पहले बेटी ने पिता की दुकान संभालना शुरू किया। फिर मां के साथ खेती का काम करते हुए गांव में मजदूरी भी की। इतनी मेहनत के साथ जोड़ी गई जमा पूंजी से 2014 में मंजू ने एक अल्टो कार खरीदी। साथ ही उसे चलाने के लिए कामर्शियल लाइसेंस भी बनवा लिया।

मंजू ने इस सोच के साथ गाड़ी ली कि उसे टैक्सी के रूप में चलाकर परिवार का गुजर बसर हो सकेगा। सोच के साथ हिम्मत ने मंजू का साथ दिया और रोजगार की व्यवस्था होने लगी। हालांकि जाख से घनसाली के बीच (22 किमी) में गाड़ी चलाने से ज्यादा फायदा नहीं हुआ तो मंजू ने घनसाली से नई टिहरी, देहरादून, ऋषिकेश व श्रीनगर तक के यात्रियों को भी गंतव्य तक छोड़ना शुरू किया।

अच्छा मुनाफा हुआ तो मंजू ने अपने छोटे भाई सोहन सिंह भंडारी के लिए भी पिकअप वाहन खरीद लिया। जिसकी मदद से सोहन भी परिवार के लिए आय कमा रहा है। मंजू भंडारी बताती हैं कि मेहनत के दिनों को पार करने के बाद आज वह दोनों ही वाहन चलाकर अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं। बता दें कि वह अपनी तीनों बहनों और भाई की शादी भी कर चुकी है। मगर परिवार को संभालने के लिए मंजू ने खुद शादी नहीं की।

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