ब्रेकिंग न्यूज़: चारधाम यात्रा शुरू करने की अनुमति मिली, ये होंगी शर्तें

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नैनिताल: उत्तराखंड में कोविड के चलते पिछले काफी समय से बंद चल रही चार धामा यात्रा फिर एक बार शुरु करने की आखिरकार अनुमति मिल गई है। हाईकोर्ट ने इस संबंध में कुछ शर्तों के साथ यात्रा शुरु करने की अनुमति दे दी है।हाईकोर्ट में इस संबंंध में सुनवाई हुई है। सुनवाई के दौरान सरकार का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने राज्य में चार धाम यात्रा शुरु करने की अनुमति दे दी है।

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हालांकि कोर्ट ने यात्रा शुरु करने के लिए कुछ शर्तें लगाईं हैं। चार धाम यात्रा करने वालों को कोविड निगेटिव होने की रिपोर्ट दिखानी होगी। इसके साथ ही वैक्सीन की दोनों डोज लेने वाले लोगों को ही यात्रा की अनुमति दी जाएगी। इसके साथ ही कोर्ट ने सभी धामों में यात्रियों की संख्या निर्धारित कर दी है। केदारनाथ में एक दिन में 800 यात्रियों को ही जाने की अनुमति होगी। जबकि गंगोत्री और यमुनोत्रि में भी यात्रियों की संख्या निर्धारित होगी।

वहीं, बद्रीनाथ में भी यात्रियों को इन शर्तों का पालन करना होगा। बद्रीनाथ में एक दिन में 1200 श्रद्धालु, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 श्रद्धालुओं को एक दिन में जाने की इजाजत मिली है। सभी श्रद्धालुओं को कोविड निगेटिव रिपोर्ट दिखाने के साथ ही डबल वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट दिखाना अनिवार्य होगा। कोर्ट ने कहा है कि चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान आवयश्यक्तानुसार पुलिस फोर्स लगाने के निर्देश भी दिए हैं। वहीं हाईकोर्ट ने श्रद्धालुओं के किसी भी कुंड में स्नान पर पाबंदी लगाई है।

आपको बता दें राज्य में चार धाम यात्रा शुरु करने के लिए सरकार पर खासा दबाव था। वहीं एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने यात्रा पर रोक लगा दी थी। हालांकि इस संबंध में पहले सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का मन बनाया था लेकिन बाद में ये फैसला वापस लेते हुए सरकार ने हाईकोर्ट में ही फिर एक बार पैरवी की। इस पैरवी का नतीजा रहा कि कोर्ट ने शर्तों के साथ यात्रा शुरु करने की अनुमति दे दी।

राज्य में चार धाम यात्रा पिछले काफी समय से बंद चल रही है। कोविड के चलते सरकार ने यात्रा स्थगित कर दी थी। राज्य में चार धाम यात्रा बंद होने से पर्यटन कारोबार के साथ ही इससे जुड़े कई अन्य कारोबारों को भी खासा नुकसान पहुंचा। इस मसले में राजनीति भी शुरु हो गई थी। कांग्रेस लगातार सरकार पर कमजोर पैरवी का आरोप लगा रही थी। कांग्रेस ने विधानसभा के बाहर बड़ा धरना भी दिया था।

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