अंकिता हत्याकांड….मां हूं, मैं कर सकती हूं इंसाफ…

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देहरादून: एक बेटी को खोने का क्या दर्द है इसका अंदाजा सिर्फ वही मां लगा सकती है जिस पर बीत रखी है। एक मां के लिए अपने बच्चे दिल का टुकड़ा होते हैं अगर वही बच्चे मां से इतनी दूर चले जाए कि वापस ना पाए तो उस मां का जीना ना जीना एक ही बराबर हो जाता है।

कुछ ऐसा ही हाल है अंकिता की माँ का। अंकिता की मां सोनी देवी ने कहा कि वह मां हैं और वो अपनी बेटी का इंसाफ कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि जिन दरिंदों ने मेरी बेटी के साथ ऐसी करतूत की है उनको मुझे सौंप दो, और मुझे इतनी हिम्मत दें कि मैं उन्हें सजा दे सकूं। वह अपनी बेटी को आखिरी बार नहीं देख पाने से आहत हैं।

उन्होंने दाह संस्कार की बात उनसे छुपाने और जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने उन्हें बेटी के अंतिम दर्शन नहीं करने दिए और उन्हें जबरदस्ती अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। कहा कि काफी देर बाद उन्हें बताया गया कि उनकी बेटी का दाह संस्कार कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि एक बार मेरी बेटी का चेहरा तक मुझे नहीं दिखाया गया। मौके पर पहुंचे एसडीएम श्रीनगर और अन्य अधिकारियों ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन वह बेटी को देखने की मांग पर अड़ी रही। साथ ही तीन दिनों के भीतर दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने के लिए लिखित आश्वासन दिए जाने की मांग करती रही।

उन्होंने कहा कि पूरा घटनाक्रम उनसे छुपाया गया और उनसे सोमवार सुबह को अंतिम संस्कार किए जाने की बात कही गई थी। उन्होंने देर सायं अंतिम संस्कार किए जाने व उसके पिता पर दबाव बनाए जाने को लेकर भी सवाल उठाए। अस्पताल के पीआरओ अरुण बडोनी ने बताया कि अंकिता की मां को स्वस्थ होने पर सोमवार सुबह ही अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था। जहां से उन्हें अस्पताल से सीधे उनके गांव छोड़ा गया।

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