नैनीताल: दुनिया का मशहूर हिल स्टेशन और पर्यटन नगरी नैनीताल आज 182वां जन्मदिन मना रहा है। 18 नवंबर 1841 को अंग्रेज व्यापारी पी बैरन यहां पहुंचे और नैनीताल के सौंदर्य से प्रभावित होकर इसे दुनिया की नजरों में लाए। अंग्रेज व्यापारी के आगमन की तारीख को ही नैनीताल के जन्मदिन के रूप में याद किया जाता है।
1842 में चौथे कुमाऊं कमिश्नर जार्ज धामस लुसिंगटन ने आधिकारिक रूप से नैनीताल को यूरोपियन सेटेलमेंट के तहत बसाया था। इसके बाद अंग्रेजों ने इसे छोटी विलायत का दर्जा देते हुए ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया। अनियंत्रित और अनियोजित विकास के कारण नैनीताल की खूबसूरती और पर्यावरण पर ग्रहण लग रहा है। बढ़ते कंक्रीट के जंगल पर रोक लगाने, यातायात के दबाव को कम करने, भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को जागरूक करने, बलियानाला संरक्षण के लिए स्वीकृत धनराशि का सदुपयोग करने और प्रकृति से छेड़छाड़ पर रोक लगाने के लिए जोर देने की जरूरत है।
भूस्खलन बढ़ा रहा चिंता
संवेदनशील बलियाना रइस होटल के बाद हरिनगर, जीआईसी समेत कैलाखान व उससे लगा आलूखेत परिक्षेत्र के लिए खतरा बना हुआ है। चीनापीक से अक्सर बोल्डर व भूस्खलन के साथ ही राजभवन के ठीक पीछे निहाल नाले के कटाव से भी क्षेत्र को खतरा है। ऐसे में लोगो को नगर के संरक्षण का संकल्प लेना होगा। आज स्थानीय ताल चैनल की ओर से मल्लीताल बास्केटबॉल मैदान में सर्वधर्म प्रार्थना सभा, समाजसेेवियों का सम्मान, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि होंगे।
सांप्रदायिक एकता का संदेश देता नैनीताल
पर्यटन नगरी नैनीताल प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही सांप्रदायिक सौहार्द्र का संदेश देती है। 51 शक्तिपीठों में से एक मां नयना देवी मंदिर, गुरुद्वारा, एशिया का पहला मेथोडिस्ट चर्च और जामा मस्जिद मात्र सौ मीटर दायरे में होना इसकी विशेषता है।