वीर बलिदानियों की यादों को संजोकर रखना हम सभी की जिम्मेदारी: मंत्री गणेश जोशी

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देहरादून: सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने गुरुवार को देहरादून में अमर शहीद हवलदार सुबाब सिंह सजवाण की स्मृति में निर्मित शहीद द्वार का अनावरण किया। इस अवसर पर सैनिक कल्याण मंत्री ने अमर शहीद हवलदार सुबाब सिंह के चित्र पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और शहीद की वीरांगना मुन्नी देवी को भी सम्मानित किया।

सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था। भारत की सेना ने अपने शौर्य और पराक्रम से हमेशा देश का गौरव बढ़ाया है, जिसपर हम सभी को गर्व है। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेई को स्मरण करते हुए कहा कि युद्ध के दौरान शहीद हुए जवानों के पार्थिव शरीर को सैन्य परंपराओं के साथ उनके पैतृक घर भेजने का कार्य किया गया था।

सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार ने सैनिकों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सैनिक का कोई धर्म, कोई जाति नहीं होती। सैनिकों का सम्मान करना, उनकी वीरता का बखान करना और उनकी यादों कर संजोए रखना हर नागरिक का कर्तव्य है और भारतीय जनता पार्टी की केंद्र और राज्य सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है।

सैनिक कल्याण मंत्री ने कहा कि प्रदेश भर में शहीद द्वार का निर्माण, शहीदों के नाम पर विद्यालयों और सड़क का नाम रखने का कार्य भी किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा शहीद के आश्रितों को सरकारी नौकरी दी जा रही है, जिस क्रम में अभी तक 26 शहीदों के आश्रितों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि शहीदों के सम्मान में देहरादून के गुनियाल गांव में भव्य सैन्य धाम का निर्माण किया जा रहा है, जो अक्टूबर माह में प्रदेश की जनता को समर्पित किया जायेगा। सैनिक कल्याण मंत्री ने बताया कि पूर्व में शहीद द्वार का निर्माण संस्कृति विभाग द्वारा किया जाता था, लेकिन अब सैनिक कल्याण विभाग द्वारा शहीद द्वार का निर्माण किया जा रहा है।

ज्ञात हो कि कारगिल शहीद हवलदार सुबाव सिंह सजवाण 10वीं गढ़वाल राइफल में तैनात थे और उत्तराखण्ड के चंबा, टिहरी गढ़वाल के मूलनिवासी थे। 13 मई 1999 को द्रास सेक्टर में कारगिल युद्ध के ऑपरेशन विजय में शहीद हुए थे। ऑपरेशन विजय के दौरान देश के 527 जवान शहीद हुए थे। जिसमे उत्तराखंड के 75 जवान शामिल थे और इनमें से उनकी बहादुरी को देखते हए 37 जवानों को वीरता पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था।

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