आज देश बड़े ही धूमधाम से दीपावली का त्यौहार मना रहा है।दीपावली का विशेष महत्व है। दीपावली में महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। परिवार में सुख-समृद्धि आती है। दीपावली का पर्व विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के पहले दिन अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली के पावन दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। इस साल दीपावली पर चार ग्रहों का दुर्लभ संयोग बन रहा है। ब्रह्म पुराण के अनुसार इस दिन रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवा गणेश सहित मकानों में यंत्र-तंत्र लक्ष्मी माता विचरण करती हैं।
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इसीलिए इस दिन घर के द्वार को साफ-सुथरा करके सजाया जाता है। दीपावली मनाने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर घर में स्थायी रूप से निवास करती हैं। इस दिन शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन करना शुभ होता है। यह नए वर्ष का प्रथम दिन भी है। इस दिन व्यापारी अपने बही-खाते बदलते हैं और अपने वर्ष के लाभ हानि का ब्योरा तैयार करते हैं। इस साल दीपावली पर चार ग्रह एक ही राशि में विराजमान रहेंगे। इस संयोग को शुभ माना जा रहा है। बृहस्पतिवार को दीपावली का महापर्व दुर्लभ संयोग में बनेगा। लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे शुभ काल 1 घंटे 55 मिनट का है।
पूजा का विशेष मुहूर्त शाम को 6:05 से रात 8:16 तक रहेगा। इसके बाद रात्रि 11:38 से 12:30 बजे तक महानिशीथ काल में मां काली के पूजन का मुहूर्त है। पांच नवंबर को गोवर्धन अन्नकूट का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विश्वकर्मा भगवान, श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है। भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग भी अर्पित किए जाते हैं।