बाबा नीम करौरी की लीलाएं अद्भुत हैं। बाबा के दर पर मत्था टेकने वाले लोग खुद को धन्य समझते हैं। देश विदेश से कैंची धाम स्थित बाबा के आश्रम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या बाबा के प्रति भक्तों की बढ़ती आस्था का जीता जागता उदाहरण है। ये बात एकदम सत्य भी है कि जिसने भी बाबा को श्रद्धा से याद किया उसके बिगड़े काम भी बनते चले गए।
बाबा नीम करौरी की चमत्कारिक लीलाएं किसी से छिपी नहीं है। इनमें से ही एक किस्सा कैंची धाम क्षेत्र में मंदिर निर्माण को लेकर भी है। बताते हैं वर्षों पूर्व जब बाबा अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर कैंची क्षेत्र में पहुंचे थे और शिप्रा नदी के तट पर मंदिर स्थापित करने की इच्छा जताई। इसके बाद तमाम अड़चनें आई पर समस्याएं सुलझती चली गईं। मंदिर निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध कराने का पेंच फंसा तो बाबा ने फिर एक चमत्कारिक रचना रची। बताते हैं कि तभी तीन दिन बाद उत्तरप्रदेश के तत्कालीन वन मंत्री चौधरी चरण सिंह कैंची धाम पहुंच गए।
बाबा ने चौधरी चरण सिंह से मंदिर निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध कराने को कहा तो तत्कालीन वन मंत्री चौधरी चरण सिंह ने मंदिर निर्माण के लिए एक रुपये की लीज पर वन विभाग की जमीन उपलब्ध करा दी। बाबा ने आशीर्वाद स्वरूप चौधरी चरण सिंह को व्यवहार में थोड़ा नरमी लाने के साथ ही प्रधानमंत्री बनने का भी आशीर्वाद दे डाला। जमीन मिलने के बाद कैंची धाम में हनुमान जी का सुंदर मंदिर बनाया गया। कुछ समय बाद चौधरी चरण सिंह देश के पाँचवें प्रधानमंत्री भी बने थे। उन्होंने यह पद 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक संभाला। चौधरी चरण सिंह ने अपना संपूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया।