मां बनना हर महिला के लिए एक ममतामयी अनुभव होता है। इसलिए ये जरूरी है कि गर्भावस्था खुद की और बच्चे की उचित देखभाल की जाए। जरा सी लापरवाही बड़े नुकसान का कारण बन सकती है।
आइए जानते हैं गर्भावस्था के दौरान फायदा पहुंचाने वाली कुछ खास टिप्स…
गर्भावस्था के दौरान बायीं करवट से सोना चाहिए। इससे प्लेसेंटा में ब्लड और दूसरे पोषक तत्त्व भरपूर मात्रा में जाते हैं जो शिशु को फायदा करते हैं। इस दौरान पैरों और घुटनों को मोड़कर रखना चाहिए और पैरों के बीच में तकिया लगाना चाहिए। इससे कमर दर्द में आराम मिलता है। पीठ के बल सोने से पीठदर्द के साथ सांस व पाचनतंत्र की समस्याएं होने के साथ ब्लड प्रेशर कम होने का खतरा रहता है।
भारी वजन ना उठाएं , जैसे कि पानी से भरी बाल्टी, सील-बट्टा ,भारी कुर्सी, बक्सा इत्यादि।
बहुत देर तक ना खड़े रहे। यदि आपको किचन में बहुत देर तक खड़ा होना पड़ता है तो वहां कुर्सी का इस्तेमाल करें।
सीढ़ियों का प्रयोग कम से कम करें। यदि करना ही पड़े ताे एक बार करने की काेशिश करें।
हील वाली सैंडल या चप्पल ना पहनें।
बाहरी खाना ना लें, खासतौर पर जंक फूड से परहेज करें।
सिगरेट, शराब या अन्य किसी भी नशे का प्रयोग न करें। नशा बच्चे के दिमागी विकास पर नकारात्मक असर डालता है।
पर्याप्त नींद लें। गर्भावस्था के दौरान दिन में कम से कम दो घंटे जबकि रात में आठ घंटे की नींद स्वस्थ मां और शिशु के लिए बहुत जरूरी है। इससे गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत ठीक रहने के साथ मां को भी गर्भावस्था के दौरान कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी नहीं होती है।
कम से कम 3 लीटर पानी राेज पिंए।
खानपान ऐसा हो…
गर्भवती को अपनी सेहत को बेहतर रखने के लिए पौष्टिक आहार लेना चाहिए। इसमें दाल, रोटी, चावल, मौसमी सब्जी के साथ फल, मेवे, गुड़ और गुड़ से बनी चीजें खानी चाहिए। शरीर में आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा का ध्यान देना होगा। कमी अधिक है तो डॉक्टर की राय से आयरन, कैल्शियम की गोली लेनी चाहिए। इससे जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं।
नियमित जांच कराएं
गर्भावस्था में नियमित जांच जरूरी है। इसमें हीमोग्लोबिन और ब्लड प्रेशर महत्त्वपूर्ण है। मां का हीमोग्लोबिन और ब्लड प्रेशर ठीक रहेगा तो गर्भ में पल रहा शिशु स्वस्थ होगा।
हीमोग्लोबिन लेवल बारह से कम नहीं होना चाहिए। हाई रिस्क प्रेगनेंसी में मां का एचबी कम है, ब्लड प्रेशर असंतुलित है और प्लेसेंटा नीचे की ओर है तो गर्भवती को समय-समय पर डॉक्टरी सलाह लेते रहना चाहिए।