देहरादून: कोई हादसा अच्छा नहीं होता, हर हादसे के बाद लोग अपना कुछ ना कुछ खोते हैं। देश ने बुधवार को अपने पहले सीडीएस को खो दिया। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत अपनी पत्नी और 11 अन्य लोगों के साथ हेलिकॉप्टर क्रैश में नहीं बच सके। इस दौरान हर कोई जनरल रावत का साहस याद कर रहा है।
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एक बार ऐसे ही हादसे के बाद उन्होंने कहा था कि मैं उत्तराखंड से हूं, इतनी आसानी से नहीं मरूंगा। बता दें कि सेना के हेलिकॉप्टर में सवार होकर सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और अन्य सैन्य अफसरों समेत कुल 14 लोग दिल्ली से वेलिंग्टन जा रहे थे। तभी कुन्नूर में हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई। इसी हादसे में हमने जनरल बिपिन रावत जैसे अधिकारी को खो दिया।
बता दें कि ये कोई पहली बार नहीं था जब जनरल बिपिन रावत किसी हादसे का शिकार हुए थे। एक बार नागालैंड के दीमापुर में भी एक हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ था। जिसमें उनकी जान बच गई थी। दरअसल 3 फरवरी 2015 को नगालैंड के दीमापुर में ‘3 स्पियर कोर’ के जनरल ऑफिसर कमांडिंग बिपिन रावत का चीता हेलिकॉप्टर उड़ान भरने के महज 20 सेकंड बाद ही क्रैश हो गया था।
जानकारी के मुताबिक तब जनरल बिपिन रावत और हेलिकॉप्टर में सवार बाकी लोगों को मामूली चोटें आई थीं। इस हादसे को याद करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल दातार बताते हैं कि हादसे के बाद जब मैं रावत से मिला तो उन्होंने बड़ी बेबाकी से कहा था – “सर, मैं उत्तराखंड से हूं, पहाड़ी आदमी हूं, ऐसे हादसों में मरने वाला नहीं हूं। मैं गोरखा राइफल्स से हूं जो अपनी निडरता के लिए जानी जाती है।”
मिलिटरी कॉलेज ऑफ टेलिकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एमजी दातार (रिटायर्ड) कहते हैं कि उन्हें यकीन था कि वह बच जाएंगे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। गौरतलब है कि 43 साल लंबे मिलिट्री करियर में ऐसा पहले भी कई बार हुआ जब उन्हें ऐसे हादसों का शिकार होना पड़ा। मगर तब वह सकुशल बच गए थे। इस बार नियति को कुछ और ही मंजूर था।