आमतौर पर दो तरह की सरसों- काली और पीली होती है और इसके तेल का इस्तेमाल खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। हर भारतीय रसोई में काली या पीली सरसों का तेल उपलब्ध होता है।
रिफाइंड ऑयल की तुलना में सरसों के तेल का इस्तेमाल बेहतर माना जाता है, लेकिन असल में क्या सरसों के तेल का इस्तेमाल करना सेहत के लिए सही है? क्या दिल के रोगी या दिल की बीमारियों से बचे रहने के लिए सरसों का तेल का यूज करना सही है? क्या हार्ट अटैक का कारण सरसों का तेल भी बन सकता है? आइए सरसों के तेल से संबंधित कुछ खास बातें जानते हैं।
खाने का स्वाद न बन जाए हार्ट अटैक की वजह
बरसात के मौसम में पकोड़े छानने से लेकर दाल या सब्जी में तड़का लगाने तक के लिए सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय महिलाओं के बीच सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला सरसों का तेल डाइटिशियन के हिसाब दिल की सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है।
काली या पीली सरसों तेल में कौन सा बेहतर?
काली या पीली में से कौन सी सरसों बेहतर है? इसे लेकर कई एक्सपर्ट्स की ओर से राय दी जाती है। प्रसिद्ध सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर डायटीशियन गरिमा ने जानकारी दी है कि पीली और काली सरसों दोनों ही सेहत के लिए हानिकारक है।
डायटीशियन के अनुसार दोनों स्वाद में भले ही अलग-अलग हैं लेकिन न्यूट्रिशनल वैल्यू में एक जैसे हैं। दोनों के सेवन से यूरिक एसिड बढ़ता है जो दिल के लिए नुकसानदायक होता है।
दिल के लिए खतरनाक है सरसों तेल
डायटीशियन गरिमा के अनुसार काली और पीली दोनों सरसों के तेल में यूरिक एसिड होता है। ऐसे में दिल के लिए ये तेल खतरनाक साबित होता है। इसलिए एक्सपर्ट की ओर से सरसों के तेल से खाना पकाने के लिए भी मना किया गया है।डॉक्टर्स की ओर से भी उन चीजों का सेवन करना मना किया गया है जिससे यूरिक एसिड बढ़ता हो। ऐसा इसलिए क्योंकि शरीर में हाई यूरिक एसिड होने पर खून का रोटेशन बढ़ता है और फिर दिल के लिए खतरा हो सकता है।
कैसे करें बचाव?
डायटीशियन गरिमा ने सरसों के तेल का इस्तेमाल करना सेहत के लिए हानिकारक बताया, लेकिन साथ में उन्होंने कैनोला तेल को सेहत के लिए लाभकारी भी बताया है।एक्सपर्ट की मानें तो सेहतमंद बनाए रखने के लिए और खाना बनाने के लिए कैनोला ऑयल यूज करना चाहिए। इस तेल का इस्तेमाल करके आप दिल संबंधित बीमारी होने से खुद को बचाए रख सकते हैं।