महाशिवरात्रि विशेष: महादेव ने यह पिया था विष का प्याला…

0
115

आज महाशिवरात्रि देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। कहा जाता है कि जो भक्त इस दिन श्रद्धा से व्रत रखते हैं उन्हें भगवान शिव की कृपा मिलती है। इस दिन पूरी श्रद्धा और भक्ति से भोले शंकर का व्रत रखना चाहिए।

वही आज हम आपको शिवाजी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रही जहां शिवजी ने विष पिया था। जी हां ये मंदिर ऋषिकेश से समीप मणिकूट पर्वत पर नीलकंठ महादेव मंदिर स्थित है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकला विष शिव ने इसी स्थान पर पिया था। विष पीने के बाद उनका गला नीला पड़ गया, इसलिए उन्हें नीलकंठ कहा गया।

ऋषिकेश को हिमालय का प्रवेशद्वार कहा जाता है। नीलकंठ महादेव उत्तर भारत के मुख्य शिवमंदिरों में से एक है। मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने जब विष ग्रहण किया था तो उसी समय पार्वती ने उनका गला दबाया, ताकि विष उनके पेट तक न पहुंच सके। इस तरह विष उनके गले में बना रहा। विषपान के बाद विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया था। गला नीला पड़ने के कारण ही भगवान शिव को नीलकंठ नाम से जाना गया। मंदिर के समीप पानी का झरना भी है, जहां श्रद्धालु मंदिर के दर्शन करने से पहले स्नान करते हैं।

यह मंदिर वैसे तो ऋषिकेश शहर के निकट है, लेकिन पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक के अंतर्गत आता है। ऋषिकेश से नीलकंठ तक वाहन या पैदल दोनों तरीकों से पहुंचा जा सकता है। वाहन से जाने के लिए तीन सड़क मार्ग हैं। बैराज या ब्रह्मपुरी के रास्ते जाने पर 35 किमी दूरी पड़ती है। सड़क का नजदीक रास्ता रामझूला टैक्सी स्टैंड से है। यह रास्ता 23 किमी का है। वहीं स्वर्गाश्रम रामझूला से पैदल रास्ता 11 किमी है। जबकि ऋषिकेश शहर से पैदल दूरी 15 किमी है। नीलकंठ महादेव मन्दिर जाने के लक्ष्मणझूला से टैक्सी मिलती है। निजी वाहन से भी यहां पहुंचा जा सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here